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काव्य
जब ह्रदय अहं की भावना का परित्याग करके विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। हृदय की इस मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे काव्य कहते हैं। कविता मनुष्य को स्वार्थ सम्बन्धों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से रागात्मक संबंध जोड़ने में सहायक होती है। काव्य की अनेक परिभाषाएं दी गई हैं। ये परिभाषाएं आधुनिक हिंदी काव्य के लिए भी सही सिद्ध होती हैं। काव्य सिद्ध चित्त को अलौकिक आनंदानुभूति कराता है तो हृदय के तार झंकृत हो उठते हैं। काव्य में सत्यं शिवं सुंदरम् की भावना भी निहित होती है। जिस काव्य में यह सब कुछ पाया जाता है वह उत्तम काव्य माना जाता है।Article Under This Catagory
हिन्दी-हत्या - अरुण जैमिनी |
सरकारी कार्यालय में |
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कवि वृन्द के दोहे - वृन्द |
जाही ते कछु पाइये, करिये ताकी आस। |
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वाल्मीकि से अनुरोध - राजेश्वर वशिष्ठ |
महाकवि वाल्मीकि |
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आखिर मैं हूँ कौन? - डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड | न्यूज़ीलैंड |
एक मानव... |
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डॉ मानव के हाइकु - डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav |
देखे जो छवि |
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लड़कपन - गयाप्रसाद शुक्ल सनेही |
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शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी - सियाराम शरण गुप्त | Siyaram Sharan Gupt |
'काफ़िर है, काफ़िर है, मारो!' |
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मातृभाषा - केदारनाथ सिंह |
जैसे चींटियाँ लौटती हैं |
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नेतावाणी-वंदना | हास्य कविता - डॉ रामप्रसाद मिश्र |
जय-जय-जय अंग्रेज़ी-रानी ! |
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बदन पे जिसके... - गोपालदास ‘नीरज’ |
बदन पे जिसके शराफत का पैरहन देखा |
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ढोल, गंवार... - सुरेंद्र शर्मा |
मैंने अपनी पत्नी से कहा -- |
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माँ की भाषा - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore |
जब खेलते-खेलते |
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कुछ कर न सका - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
मैं जीवन में कुछ कर न सका |
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जब सुनोगे गीत मेरे... - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) |
दर्द की उपमा बना मैं जा रहा हूँ, |
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क्या बताएं आपसे हम - हुल्लड़ मुरादाबादी |
क्या बताएं आपसे हम हाथ मलते रह गए |
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सूर्य की अब... - कुमार शिव |
सूर्य की अब किसी को ज़रूरत नहीं, जुगनुओं को अँधेरे में पाला गया |
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रखकर अपनी आंख में... - गुलशन मदान |
रखकर अपनी आंख में कुछ अर्जियां, तुम देखना |
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एक दरी, कंबल, मफलर - अशोक वर्मा |
एक दरी, कंबल, मफलर, मोज़े, दस्ताने रख देना |
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ख़्वाब छीने, याद भी... - कमलेश भट्ट 'कमल' |
ख़्वाब छीने, याद भी सारी पुरानी छीन ली |
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ओ देस से आने वाले - अख़्तर शीरानी |
ओ देस से आने वाले बता |
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हिन्दी गीत - डॉ माणिक मृगेश |
हिन्दी भाषा देशज भाषा, |
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पगले दर्पण देख - नसीर परवाज़ |
कितना धुंधला कितना उजला तेरा जीवन देख |
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