रास्ते में बचे
झुलस गये पिता
घर में आ के
अनाथ बच्चा
भर रहा कॉलम
स्थायी पते का
चिता का धुआँ
पल में उड़ गया
इंसां का अहं
बड़े बंगले
हरे भरे गमले
मुरझाई माँ
मना ले आये
नाराज समधी को
माँ के गहने
-अभिषेक कुमार, भारत
हाइकु (काव्य) |
रास्ते में बचे
झुलस गये पिता
घर में आ के
अनाथ बच्चा
भर रहा कॉलम
स्थायी पते का
चिता का धुआँ
पल में उड़ गया
इंसां का अहं
बड़े बंगले
हरे भरे गमले
मुरझाई माँ
मना ले आये
नाराज समधी को
माँ के गहने
-अभिषेक कुमार, भारत