मनुष्य सदा अपनी भातृभाषा में ही विचार करता है। - मुकुन्दस्वरूप वर्मा।

हास्य काव्य

भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।

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हफ्तों उनसे... | हज़ल - अल्हड़ बीकानेरी

हफ्तों उनसे मिले हो गए 
विरह में पिलपिले हो गए 

 
वे और तुम | हज़ल - जैमिनी हरियाणवी | Jaimini Hariyanavi

मुहब्बत की रियासत में सियासत जब उभर जाये 
प्रिये, तुम ही बताओ जिन्दगी कैसे सुधर जाये? 

 
बेकाम कविता | हास्य कविता - कुंजबिहारी पांडेय 

मुझसे एक न पूछा-- 
"आप क्या करते हैं?" 
मैंने कहा--"कविता करता हूँ।" 
"कविता तो ठीक है, 
आप काम क्या करते हैं?" 
मुझे लगा, 
कविता करना कोई काम नहीं है। 
कविता वह करता है, 
जिसको कोई काम नहीं है।

- कुंजबिहारी पांडेय 

 

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