साहित्य का स्रोत जनता का जीवन है। - गणेशशंकर विद्यार्थी।

बाल-साहित्य

बाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी साहित्य में बाल साहित्य की परम्परा बहुत समृद्ध है। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। हिंदी बाल-साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। पंचतंत्र, हितोपदेश, अमर-कथाएँ व अकबर बीरबल के क़िस्से बच्चों के साहित्य में सम्मिलित हैं। पंचतंत्र की कहानियों में पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को बड़ी शिक्षाप्रद प्रेरणा दी गई है। बाल साहित्य के अंतर्गत बाल कथाएँ, बाल कहानियां व बाल कविता सम्मिलित की गई हैं।

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घर का मतलब‌  - प्रभुद‌याल‌ श्रीवास्त‌व‌ | Prabhudyal Shrivastava

धरती सुबह-सुबह छप्पर से,
लगी जोर से लड़ने।
उसकी ऊंचाई से चिढ़कर,
उस पर लगी अकड़ने।

 
अम्मू भाई का छक्का - प्रभुद‌याल‌ श्रीवास्त‌व‌ | Prabhudyal Shrivastava

"दादाजी मैं छक्का मारूँगा," अम्मू भाई ने क्रिकेट बैट लहराते हुये मुझसे कहा। वह एक हाथ में बाल लिये था, बोला, "प्लीज़ बाँलिंग करो न दादाजी।"

 
गिलहरी  - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

कहते जिसे गिलहरी हैं सब ।
सभी निराले उसके हैं ढब ॥

 
एक गज़ दूध - भारत-दर्शन संकल

एक दिन शेख़चिल्ली ने अपनी अम्मी से कहा, ‘अम्मी! तुम या अब्बू मुझसे कोई काम नहीं करवाते। सभी बच्चों के अम्मी-अब्बू उनसे कोई-न-कोई काम करवाते हैं। क्या मैं इतना नकारा हूँ कि आप मुझे किसी काम के क़ाबिल नहीं समझते?’

 
हमसे सब कहते - निरंकार देव सेवक

नहीं सूर्य से कहता कोई
धूप यहाँ पर मत फैलाओ,
कोई नहीं चाँद से कहता
उठा चाँदनी को ले जाओ।

 
कौन सा अच्छा  - भारत-दर्शन संकलन | Collections

एक दिन बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे अपने दरबारियों से दिल बहलाव की बातें कर रहे थे। इसी बीच बीरबल भी आ पहुँचा। 

 
टिटिहरी और समुद्र  - पंडित विष्णु शर्मा

समुद्र के तट पर एक स्थान पर एक टिटिहरी का जोड़ा रहता था। टिटिहरी कुछ दिनों में अंडे देने वाली थी। उसने अपने पति से कहा, "अब समय निकट आ रहा है, इसलिए आप किसी सुरक्षित स्थान की खोज कीजिए जहां मैं शान्तिपूर्वक अपने बच्चों को जन्म दे सकूं।" 

 
कल के सपने - सरस्वती कुमार दीपक

बच्चे धरती के प्यारे हैं, 
ये कल के सपने न्यारे हैं।
जीवन की चंचल नदिया के, 
बच्चे अनमोल किनारे हैं।

 
मेरे जन्म दिवस पर मुझको - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas)

मेरे जन्म दिवस पर मुझको, पापा ने उपहार दिया है।
सुन्दर पुस्तक मुझको दी है, पढ़ने वाला प्यार दिया है।
इस पुस्तक में इक बालक ने,
आतंकी को मार गिराया।
बेटा-बेटी सभी पढ़ेंगे,
का सुन्दर अभियान चलाया।
सभी पढ़ेंगे, सभी बढ़ेंगे, नारे को साकार किया है।
मेरे जन्म दिवस पर मुझको, पापा ने उपहार दिया है॥

 

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