हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है। - शारदाचरण मित्र।

कथा-कहानी

अंतरजाल पर हिंदी कहानियां व हिंदी साहित्य निशुल्क पढ़ें। कथा-कहानी के अंतर्गत यहां आप हिंदी कहानियां, कथाएं, लोक-कथाएं व लघु-कथाएं पढ़ पाएंगे। पढ़िए मुंशी प्रेमचंद,रबीन्द्रनाथ टैगोर, भीष्म साहनी, मोहन राकेश, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, फणीश्वरनाथ रेणु, सुदर्शन, कमलेश्वर, विष्णु प्रभाकर, कृष्णा सोबती, यशपाल, अज्ञेय, निराला, महादेवी वर्मालियो टोल्स्टोय की कहानियां

Article Under This Catagory

आई हेट यू, पापा! - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas)

भास्कर के घर से कुछ ही दूरी पर स्थित है सन्त श्री शिवानन्द जी का आश्रम। दिव्य अलौकिक शक्ति का धाम। शान्त, सुन्दर और रमणीय स्थल। जहाँ ध्यान, योग और ज्ञान की अविरल गंगा बहती रहती है। दिन-रात यहाँ वेद-मंत्र और ऋचाओं का उद्घोष वातावरण को पावनता प्रदान करता रहता है और नदी का किनारा जिसकी शोभा को और भी अधिक रमणीय बना देता है।

 
2050 - दिव्या माथुर

ऋचा की आँखों में उच्च वर्ग का सा इस्पात उतर आया, एकबारगी उसे  लगा कि वह भी इस्पात में ढल सकती है। गँवार लोग ही रोते हैं, उच्च वर्ग के लोगों के सपाट चेहरों पर कभी देखा है किसी ने कोई उल्लास या उदासी! ये लौह युग है, यंत्रों और तंत्रों से संचालित। यहाँ भावनाओं का क्या काम? कितने लोग बचे हैं जो ज़रा ज़रा सी बात पर उद्वेलित हो जाते हैं, जिनकी भावनाएं उछल-उछल कर छलक उठती हैं। ऋचा को अपनी भावुकता पर नियंत्रण रख्रना होगा किंतु अगले ही पल इस्पात तरल होकर बहने लगता। वह अपने को सम्भाल तक नहीं पाती।   

 
रोना और मरामा - रोहित कुमार हैप्पी

Rona and Moon

 
डाइन  - पृथ्वीनाथ 'मधुप'

Kashmir Ki Lok Katha

 
एक राजनीतिक संवाद  - बलराम अग्रवाल 

-- सर, 'पेड़ पर उलटा लटकने' वाले में और 'हर शाख पे बैठा' होने वाले में क्या अन्तर है? 
-- एक ही डाली के चट्टे-बट्टे हैं दोनों, कोई अन्तर नहीं है। 
-- यह कैसे हो सकता है? 
-- देखिए, जब आप सत्ता में होते हैं तो सारा विपक्ष आपको उलटा लटका दिखाई देता है... और जब आप विपक्ष में होते हैं तब सत्तापक्ष का हर शख्स आपको 'शाख पे बैठा' दिखाई देता है। 

 
उलझन - सन्तोष सुपेकर

नौकरी का नियुक्ति-पत्र मिला तो खुशी से उसकी आँखों में आँसू आ गए। इस नौकरी की प्रतियोगी परीक्षा के लिए उसने जी तोड़ मेहनत की थी। ईश्वर और वृद्ध माता के चरणों में नियुक्ति-पत्र रखकर, वह लपकता हुआ, पड़ोस के अंकल का आशीर्वाद लेने पहुँचा, जिनका बेरोजगार पुत्र उसका अभिन्न मित्र था।

 
परिंदा - सुनीता त्यागी

आँगन में  इधर उधर फुदकती हुई गौरैया अपने बच्चे को उड़ना सिखा रही थी। बच्चा कभी फुदक कर खूंटी पर बैठ जाता तो कभी खड़ी हुई चारपायी पर, और कभी गिर कर किसी सामान के पीछे चला जाता। 

 
गैर - जोगेंदर पाल

मुझे अपने आप पर शक होने लगा है। मैं कोई और हो गया हूँ।

 
तितली और ततैया - डॉ आरती ‘लोकेश’

तितली और ततैया

 
लाल कमीज-बिल्ला नम्बर 243 - गोवर्धन यादव 

"यात्रीगण कृपया ध्यान दें। निजामुद्दीन से चलकर हैदराबाद को जाने वाली दक्षिण एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से एक घण्टा विलम्ब से चल रही है...... यात्रीगण कृपया ध्यान दें" ... उद्घोषिका बार-बार इस सूचना को प्रसारित कर रही थी।

 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश