हिंदुस्तान की भाषा हिंदी है और उसका दृश्यरूप या उसकी लिपि सर्वगुणकारी नागरी ही है। - गोपाललाल खत्री।

Archive of मार्च-अप्रैल 2023 Issue

मार्च-अप्रैल 2023

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सदैव की भांति इस अंक में भी  'कथा-कहानी' के अंतर्गत कहानियाँलघु-कथाएं व बाल कथाएं प्रकाशित की गई हैं। इस अंक के काव्य  में सम्मिलित है - कविताएंदोहेभजनबाल-कविताएंहास्य कविताएं व गज़ल

मार्च-अप्रैल का यह अंक आपको भेंट।॥

करो नहीं अनुसरण हमारा, पथ दर्शक न बन पाऊँगा
मत चलना आगे–आगे भी, अनुचर हो न चल पाऊँगा
साथ चलो तो, आओ साथी, पग–पग संग चलें हम मिल
साथी बन कर हाथ थाम लो, मिल जाए बस दिल से दिल

-डॉ॰ कविता वाचक्नवी
[Albert Camus की पंक्तियों पर आधारित]

इस अंक की कहानियों में प्रेमचंद की कहानी, 'दिल की रानी, जूही विजय की कहानी 'चिंगारी', क़ैस जौनपुरी की कहानी, 'होली बाद नमाज़', कुमारी राजरानी की 'अधूरी कहानी', कमल कुमार शर्मा की कहानी 'अंगूर' और संजय भारद्वाज की कहानी, 'एक पत्र अनाम के नाम' सम्मिलित की गई हैं।

लघुकथाओं में चंद्रेश कुमार छतलानी की लघुकथा,'पत्ता परिवर्तन', राकेश पांडे की, 'महीने के आख़री दिन', कन्हैयालाल मिश्र लाल मिश्र 'प्रभाकर' की बोधकथा, 'बड़ा और छोटा' और अनिल कटोच की लघुकथा 'शराब' पढ़िए।

लोक-कथाओं में न्यूज़ीलैंड की प्रीता व्यास की बाली की लोक-कथा 'बुद्धू बेलोग', विक्रम कुमार जैन की मालवा की लोक-कथा, 'सब समान' पढ़ें।  

इस बार दोहों में कबीरदास, रैदास, निदा फ़ाज़ली, प्रो॰ राजेश कुमार, डॉ सुनील शर्मा और रोहित कुमार हैप्पी के दोहे पढ़िए।

कविताओं में अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की, 'खेलो रंग अबीर उड़ावो',  नागार्जुन की , 'अकाल और उसके बाद', जयप्रकाश मानस की, 'कुछ झूठ बोलना सीखो कविता!', वेणु गोपाल और विष्णु नागर की 'दिल्ली पर कविताएं', गिरेन्द्रसिंह भदौरिया की 'सबके बस की बात नहीं है', नमिता गुप्ता 'मनसी' की, 'रह जाएगा बाकी', संजय कुमार सिंह की, 'मेरा सफ़र', डॉ॰ साकेत सहाय की, 'लिखना ज़रूरी है' पढ़िए। ब्रिटेन के साहित्यकार पद्मेश गुप्त की सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में पढ़ी गई कविता, 'पारित प्रस्ताव' पठनीय है। न्यूज़ीलैंड के रचनाकारों  डॉ॰ सुनीता शर्मा की कविता, 'दीवानी सी', सोमनाथ गुप्ता की, 'यह कैसा दौर है' उल्लेखनीय हैं।  इस बार ऑस्ट्रेलिया की मधु खन्ना की, 'मँजी' रचना पढ़िए। इनके अतिरिक्त डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' की क्षणिकाएँ पढ़ें।

बाल साहित्य में पंचतंत्र की कहानी के अतिरिक्त महादेवी वर्मा की 'गिल्लू', भीष्म साहनी की 'दो गौरया'जयप्रकाश भारती की, 'बंटवारा नहीं होगा', जॉन हे की, 'सुखी आदमी की कमीज़' और शिव कुमार गोयल की, 'अनूठी गुरु शिक्षा' प्रकाशित की है।

ग़ज़लों में अजहर हाशमी, कंवल हरियाणवी, संध्या नायर (ऑस्ट्रेलिया) और विनीता तिवारी (अमेरिका) की ग़ज़लें पढ़ें।

इस बार गीतों में शंकर शैलेंद्र का गीत, 'जीत में यकीन कर', आचार्य मायाराम पतंग का, 'होली' गीत और राजीव सिंह का गीत, 'सोचो' पढ़िए।

व्यंग्य में हरिशंकर शर्मा का, 'गड़बड़गोष्ठी का उद्घाटन', गोपालप्रसाद व्यास का व्यंग्य, 'हिन्दी की होली तो हो ली' और दिलीप कुमार का व्यंग्य, 'व्यंग्य समय' पढ़ें।  

विश्व भर में होली से मिलते-जुलते भी कई त्योहार हैं, 'होली से मिलते-जुलते त्योहार' आलेख में इसकी रोचक जानकारी पढ़ें।

प्रीता व्यास 'पुर तानह लौट' के अंतर्गत आपको बाली के एक मंदिर से परिचित करवा रही हैं। कहते हैं, इस मंदिर में पाए जाने वाले धारीधार सांप कभी कभी मनुष्य थे जिन्हें सांप में बदल दिया गया था। 

क्या आप जानते हैं कि भारत के एम्स निर्माण में न्यूज़ीलैंड की क्या भूमिका थी? पढ़िए, रोहित कुमार हैप्पी का आलेख, 'एम्स के निर्माण की कहानी।' 

गद्य-काव्य में वियोगी हरि की रचना 'रूप'।  

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