भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।

कविताएं

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चिड़िया | कविता  - शरद जोशी | Sharad Joshi

'च' ने चिड़िया पर कविता लिखी। 
उसे देख 'छ' और 'ज' ने चिड़िया पर कविता लिखी। 
तब त, थ, द, ध, न, ने 
फिर प, फ, ब, भ और म, ने 
'य' ने, 'र' ने, 'ल' ने 
इस तरह युवा कविता की बारहखड़ी के सारे सदस्यों ने 
चिड़िया पर कविता लिखी। 

 
काका हाथरस्सी का हास्य काव्य  - काका हाथरसी | Kaka Hathrasi

अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार

 
बड़प्पन    - क्षेत्रपाल शर्मा

उनके बड़प्पन को मैं हमेशा कोसता रहा,
पता ही न लगा कि वे कितने बड़े थे,
ऊपर से, या नीचे से,
आगे से या पीछे से,
पेट तो उनका महा भक्षणी,
सिर उनका सड़ा हुआ था,
वे पूरे सरोवर को गंदा किए हुए,
एक कालिया नाग।

 
सांईं की कुण्डलिया - सांईं

सांईं बेटा बाप के बिगरे भयो अकाज। 
हरिनाकस्यप कंस को गयउ दुहुन को राज॥ 
गयउ दुहुन को राज बाप बेटा में बिगरी। 
दुश्मन दावागीर हँसे महिमण्डल नगरी॥ 
कह गिरधर कविराय युगन याही चलि आई। 
पिता पुत्र के बैर नफ़ा कहु कौने पाईं॥

 
विदा होता है वह - विदा होता है वह | कविता

मेरी हथेली पर छोड़ कर
अपने गर्म होंठों के अहसास
मेरे साथ खुद को भी बहलाता है
तब विदा होता है वह
मैं अन्यमनस्क सी
देखती हूँ अपनी हथेली
वक्त के रुकने की दुआ करती सी
वक्त और तेज़ी से भागने लगता है
और फिर
धीरे से मेरा हाथ मेरी गोद में रखकर,
हौले से पीठ थपथपाता है
फिर विदा होता है वह।

 
अनुपमा श्रीवास्तव 'अनुश्री' की दो कविताएं - अनुपमा श्रीवास्तव 'अनुश्री'

मेह मधुराग

 
कह मुकरियाँ - स्मिता श्रीवास्तव

बगिया में है एकछत्र राज
इत्र की दुनिया का सरताज
गुलदस्ते में अलग रुआब
क्या सखि साजन न सखि गुलाब

 
अंबर दीप जलाता है - डॉ कुमारी स्मिता

दिन भर चलते-चलते थककर
सूरज जब छुप जाता है 
रात की काली चादर पर 
अंबर दीप जलाता है। 

 

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