आज हर्ष की बीन बजाओ प्रेमचंद का दिवस मनाओ; अश्रु नहीं, शत् पुष्प चढ़ाओ, अमर यशस्वी कथाकार की कृतियों पर सर्वस्व लुटाओ, प्रेमचंद के आगे अपने शीष झुकाओ!
-केदारनाथ अग्रवाल 9-10-1954