दुनिया के हर कोने तक फैला हिंदी का नाम है,
साहित्य, संस्कृति में चमकता हिंदी का काम है।

धरती से अम्बर तक फैला हिंदी का सम्मान है,
भारत से बाहर भी बन रही हिंदी की पहचान है।

विद्या से विज्ञान तक पहुँचा हिंदी का पैग़ाम है,
संस्कृति की धड़कन में बसता हिंदी का अरमान है।

विश्व मंच पर अब गूंजे हिंदी का मीठा स्वर सदा,
हर भाषा के सुर से मिलकर बना हिंदी का गान है।

पर्यटन से व्यापार तक फैला हिंदी का आकाश है
हर दिल की धड़कन में बसा हिंदी का उल्लास है।

एशिया से अफ्रीका तक हिंदी का संगीत है,
पश्चिम में भी पूर्व संग हिंदी का हितगीत है।

विद्वानों की वाणी में हिंदी का उज्ज्वल प्रकाश है,
नवयुवकों की आँखों में हिंदी का अनुपम विश्वास है।

शैलेश लिखे, यही जग में हिंदी की पहचान है,
भारत की आत्मा का ध्वज हिंदी का सम्मान है।

-डॉ शैलेश शुक्ला