आम आदमी

रचनाकार: ब्रजभूषण भट्ट

आज
आम आदमी
आम की तरह है,
जिसे
रईस चूसकर फेंक देते हैं,
और
गुठलीयों को जमीन में गाड़ देते हैं,
जिससे
फिर और आमों को चूसा जा सके।

- ब्रजभूषण भट्ट

[साभार - पानी की लकीर]