बे-कायदा

रचनाकार: माया मृग

जब भी मैं
जागने की
कोशिश करता हूँ
सो जाता हूँ।
पर अक्सर
जागता हूँ
जब भी बाकायदा
सोने की
कोशिश करता हूँ।
यह बात
सीधे तौर पर
मुझे समझाती है
कि जीवन
बाकायदा नहीं
अपनी ही
मरजी से
चलता है।

--माया मृग
[शब्द बोलते हैं]