बहरों को फ़रियाद सुनाना, अच्छा है पर कभी-कभी
अंधों को दर्पण दिखलाना, अच्छा है पर कभी-कभी
ऐसा न हो तेरी कोई, उँगली ग़ायब हो जाए
नेताओं से हाथ मिलाना, अच्छा है पर कभी-कभी
बीवी को बंदूक़ सिखाकर तुमने रिस्की काम किया
अपनी लुटिया आप डुबाना, अच्छा है पर कभी-कभी
हाथ देखकर पहलवान का, अपना सिर फुड़वा बैठे
पामिस्ट्री में सच बतलाना, अच्छा है पर कभी-कभी
तुम रूहानी शे'र पढ़ोगे, पब्लिक सब भग जाएगी
भैंस के आगे बीन बजाना, अच्छा है पर कभी-कभी
घूँसे-लात चले आपस में, संयोजक का सिर फूटा
कवियों को दारू पिलवाना, अच्छा है पर कभी-कभी
पच्चीस डॉलर जुर्माने के पीक थूकने में ख़र्चे
वाशिंगटन में पान चबाना, अच्छा है पर कभी-कभी
-हुल्लड़ मुरादाबादी