मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
1 / 4
भारत-दर्शन पत्रिका पढ़ें
भारत-दर्शन पत्रिका पढ़ें
2 / 4
हिन्दी साहित्य संकलन
हिन्दी साहित्य संकलन
3 / 4
प्रेमचंद साहित्य
प्रेमचंद साहित्य
4 / 4
डॉ रामदरश मिश्र
डॉ रामदरश मिश्र
भारत-दर्शन

न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित 'भारत-दर्शन' मे आपका स्वागत है। यहाँ आप साहित्य संकलन और भारत-दर्शन द्वै-मासिक पत्रिका के अतिरिक्त हिंदी के अनेक संसाधनों से लाभान्वित हो सकते हैं।

हार्दिक आभार।

भारत-दर्शन पत्रिका (भारत-दर्शन, नवंबर दिसंबर 2025)
भारत-दर्शन, नवंबर दिसंबर 2025

भारत-दर्शन का नवंबर-दिसंबर 2025 अंक आपको भेंट है।

इस अंक में हमने बाल-साहित्य और डॉ रामदरश मिश्र के साहित्य  को प्रमुखता दी है। डॉ रामदरश मिश्र का 31 अक्तूबर 2025 को निधन हो गया। 

कहानी खंड में डॉ रामदरश मिश्र की ‘खाली घर’ , एन्तॉन चेखव की कहानी 'शर्त', रामेश्वर टांटिया की कहानी, 'राजा और रंक'  और भगवतीचरण वर्मा की 'दो पहलू'  प्रकाशित की है।  

लघुकथा के अंतर्गत गिरीश पंकज की लघुकथा 'पेड़ पर कविता', और रेखा वशिष्ठ मल्होत्रा की लघुकथा ‘मेरे हिस्से का घर-परिवार’ जैसी लघुकथायें प्रकाशित की गई हैं।

लोक-कथा के अंतर्गत भारत-दर्शन संकलन से ‘अंधे का दीया’ और न्यूज़ीलैंड से प्रीता व्यास की ‘बुद्धू बेलोग’ भी पाठकों को आकर्षित करेंगी।

काव्य में डॉ रामदरश मिश्र की ‘मेरे जाने के बाद’ (कविता), ‘बनाया है मैंने ये घर धीरे धीरे’ (ग़ज़ल), ‘जाने तू कैसे लिखता है’ (गीत), बालमुकुन्द गुप्त की ‘पेट-महिमा’, निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल ‘दम में नहीं है दम...’ और सूरदास के भक्ति रस से भरे ‘सूर के पद’ प्रमुख हैं। विविध खंड में प्रो. बीना शर्मा का ‘तो हरे भरे बने रहिए न...’, इलाश्री जायसवाल की ‘माँ का संवाद – लोरी’ और संदीप सृजन का ‘कीर्ति-शेष: हिंदी साहित्य का अमर योद्धा — डॉ. रामदरश मिश्र’ जैसे विचारपूर्ण आलेख शामिल हैं।

बाल-साहित्य खंड इस बार विशेष रूप से समृद्ध है। इसमें मुंशी प्रेमचंद की ‘मिट्ठू’ और ‘परीक्षा’, जयशंकर प्रसाद की ‘छोटा जादूगर’, सुभद्राकुमारी चौहान की ‘हींगवाला’, भीष्म साहनी की ‘दो गौरैया’, विष्णु प्रभाकर की ‘मैंने झूठ बोला था’, दिविक रमेश की ‘जिद्दी मक्खी’, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की ‘बुढ़िया’, माखनलाल चतुर्वेदी की बाल-कविता ‘लड्डू ले लो’, सोहनलाल द्विवेदी की ‘अगर कहीं मैं पैसा होता ?’, मैथिलीशरण गुप्त की ‘सरकस’, आनन्द विश्वास की ‘प्रकृति विनाशक आखिर क्यों है?’, डॉ राणा प्रताप सिंह गन्नौरी ‘राणा’ की ‘प्यारे बच्चो’ एवं ‘खेल हमारे’, डॉ रामनिवास मानव की ‘बन्दर मामा’, गिजुभाई बधेका की ‘करना हो सो कीजिए’ तथा अकबर-बीरबल की ‘चारों मूर्ख हाजिर हैं’ एवं ‘हरे रंग का घोड़ा’ सहित अन्य रोचक बाल-कहानियाँ और कविताएँ सम्मिलित हैं।

पत्रिका की सम्पूर्ण विषय-सूची देखें। 

आशा है पाठकों का स्नेह मिलता रहेगा। आप भी भारत-दर्शन में प्रकाशनार्थ अपनी रचनाएं भेजें। 

पिछ्ला अंक 'हिंदी उत्सव विशेषांक' यहाँ पढ़ें।  

No daily stories

Daily Stories

No Daily stories available for today.

Read Daily Mythology Story

पौराणिक कथाएँ

मंगलवार व्रतकथा | Mangalwar Katha

ॠषिनगर में केशवदत्त ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ रहता था। केशवदत्त के घर में धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। नगर में सभी केशवदत्त ...

Read Festivals

मासिक उत्सव