जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
रबीन्द्रनाथ टैगोर जन्मोत्सव | 7 मई
 
 

रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था। वह एक कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। रवींद्रनाथ ठाकुर साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे। उन्हें गीतांजलि के लिए 1913 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।  गीतांजलि उनकी महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति है। 1901 में उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो बाद में विश्वभारती विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

पढ़िए रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानियाँ, कविताएं, आलेखबाल साहित्य प्रकाशित किया गया था।

टैगोर को 'नाइट हुड' की उपाधि प्रदान की गई थी लेकिन उन्होंने 1919 में हुए 'जलियाँवाला बाग नरसंहार ' के विरोध में यह सम्मान लौटा दिया था। 'नाइट हुड' मिलने पर नाम के साथ 'सर' लगाया जाता है।

 
काबुलीवाला | रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी

मेरी पाँच बरस की लड़की मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता। एक दिन वह सवेरे-सवेरे ही बोली, "बाबूजी, रामदयाल दरबान है न, वह 'काक' को 'कौआ' कहता है। वह कुछ जानता नहीं न, बाबूजी।" मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने दूसरी बात छेड़ दी। "देखो, बाबूजी, भोला कहता है - आकाश में हाथी सूँड से पानी फेंकता है, इसी से वर्षा होती है। अच्छा बाबूजी, भोला झूठ बोलता है, है न?" और फिर वह खेल में लग गई।

चीन्हे किए अचीन्हे कितने | गीतांजलि

बहुत वासनाओं पर मन से हाय, रहा मर,
तुमने बचा लिया मुझको उनसे वंचित कर ।
संचित यह करुणा कठोर मेरा जीवन भर।

बहुत वासनाओं पर मन से | गीतांजलि

बहुत वासनाओं पर मन से हाय, रहा मर,
तुमने बचा लिया मुझको उनसे वंचित कर ।
संचित यह करुणा कठोर मेरा जीवन भर।

मेरा शीश नवा दो - गीतांजलि

मेरा शीश नवा दो अपनी
चरण-धूल के तल में।
देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।

विकसित करो हमारा अंतर | गीतांजलि

विकसित करो हमारा अंतर
           अंतरतर हे !

विपदाओं से मुझे बचाओ, यह न प्रार्थना | गीतांजलि

 

Comment using facebook

 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
 
 
  Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश