यह कैसे संभव हो सकता है कि अंग्रेजी भाषा समस्त भारत की मातृभाषा के समान हो जाये? - चंद्रशेखर मिश्र।

डा. जगदीश गांधी | Profile & Collections

डॉ० जगदीश गांधी का जन्म 10 नवंबर 1936 को बारसोली गांव, जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। आप लखनऊ विश्विद्यालय से बी. कॉम हैं और विश्व के अनेक देशों ने आपको ऑनरेरी डॉक्टरेट प्रदान की हैं।

डा. जगदीश गांधी प्रख्यात शिक्षाविद् हैं वे सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के
संस्थापक प्रबन्धक हैं। गांधी जी व विनोबा के पद-चिन्हों पर चलने वाले डॉ. गांधी ने 1956 में केवल पांच बच्चों के साथ विद्यालय आरम्भ किया था और आज यह विद्यालय 50,000 से भी अधिक विद्यार्थियों वाला विश्व का सबसे बड़ा विद्यालय है। 1999 से इस स्कूल का नाम 'गिनीज बुक अॉव वर्ल्ड रिकार्डज़' (Guinness Book of World Records) में दर्ज है।

डॉ० जगदीश गांधी ने अनेक पुस्तकें लिखी हैं।

 

 

डा. जगदीश गांधी's Collection

Total Records: 11

आपसी प्रेम एवं एकता का प्रतीक है होली

'होली' भारतीय समाज का एक प्रमुख त्यौहार भारत संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों का आदि काल से ही काफी महत्व रहा है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर मनाये जाने वाले सभी त्यौहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके लोगों में प्रेम, एकता एवं सद्भावना को बढ़ाते हैं। भारत में त्योहारों एवं उत्सवों का सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है। यहाँ मनाये जाने वाले सभी त्योहारों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धि प्रदान करना होता है। यही कारण है कि भारत में मनाये जाने वाले त्योहारों एवं उत्सवों में सभी धर्मों के लोग आदर के साथ मिलजुल कर मनाते हैं। होली भारतीय समाज का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसकी लोग बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं।

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समाज के वास्तविक शिल्पकार होते हैं शिक्षक

सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन का जन्मदिवस 5 सितम्बर के अवसर पर विशेष लेख

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शिक्षक एक न्यायपूर्ण राष्ट्र व विश्व के निर्माता हैं!

शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) पर विशेष लेख(1) सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन एवं शिक्षक दिवस:-

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वैलेन्टाइन दिवस

संत वैलेन्टाइन को सच्ची श्रद्धाजंली देने के लिए 14 फरवरी‘वैलेन्टाइन दिवस' को ‘पारिवारिक एकता दिवस' के रूप में मनायें!

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बच्चों को ‘विश्व बंधुत्व’ की शिक्षा

(1) विश्व में वास्तविक शांति की स्थापना के लिए बच्चे ही सबसे सशक्त माध्यम:-

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गिर जाये मतभेद की हर दीवार ‘होली’ में!

 

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आज कबीर जी जैसे युग प्रवर्तक की आवश्यकता है

(1) आज कबीर जी जैसे युग प्रवर्तक की आवश्यकता है - आज समाज, देश और विश्व के देशों में बढ़ती हुई भुखमरी, अशिक्षा, बेरोजगारी, स्वार्थलोलुपता, अनेकता आदि समस्याओं से सारी मानवजाति चिंतित है। वास्तव में ये ऐसी मूलभूत समस्यायें हैं जिनसे निकल कर ही हत्या, लूट, मार-काट, आतंकवाद, धार्मिक विद्वेष, युद्धों की विभीषिका आदि समस्याओं ने जन्म लिया है। इस प्रकार आज इन समस्याओं ने पूरे विश्व की मानवजाति को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। ऐसी भयावह परिस्थिति में समाज को सही राह दिखाने के लिए आज कबीर दास जी जैसे युग प्रवर्तक की आवश्यकता है। कबीरदास जी ने समाज में व्याप्त भेदभाव को समाप्त करने पर बल देते हुए कहा था कि ‘‘वही महादेव वही मुहम्मद ब्रह्मा आदम कहिए। कोई हिंदू कोई तुर्क कहांव एक जमीं पर रहिए।'' कबीरदास जी एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने अपने युग में व्याप्त सामाजिक अंधविश्वासों, कुरीतियों और रूढ़िवादिता का विरोध किया। उनका उद्देश्य विषमताग्रस्त समाज में जागृति पैदा कर लोगों को भक्ति का नया मार्ग दिखाना था, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी हुए। कबीर दास जी ने कहा था कि ‘‘बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो हितय ढूंढो आपनो, मुझसा बुरा न कोय।।''

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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून)

-डॉ. जगदीश गाँधी(1) 21 जून ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में घोषित:- 27 सितंबर, 2014 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में प्रस्ताव पेश किया था कि संयुक्त राष्ट्र को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत करनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले भाषण में मोदी ने कहा था कि ‘‘भारत के लिए प्रकृति का सम्मान अध्यात्म का अनिवार्य हिस्सा है। भारतीय प्रकृति को पवित्र मानते हैं।'' उन्होंने कहा था कि ‘‘योग हमारी प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है।'' यूएन में प्रस्ताव रखते वक्त मोदी ने योग की अहमियत बताते हुए कहा था, ‘‘योग मन और शरीर को, विचार और काम को, बाधा और सिद्धि को ठोस आकार देता है। यह व्यक्ति और प्रकृति के बीच तालमेल बनाता है। यह स्वास्थ्य को अखंड स्वरूप देता है। इसमें केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और मनुष्य के बीच की कड़ी है। यह जलवायु परिवर्ततन से लड़ने में हमारी मदद करता है।'' संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून, 2014 को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने को मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव के मात्र तीन महीने के अंदर दे दी। इसी के साथ भारत की सेहत से भरपूर प्राचीन विद्या योग को वैश्विक मान्यता मिल गई थी। भारत में वैदिक काल से मौजूद योग विद्या एक जीवन शैली है जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने नया मुकाम दिलाया। (2) प्रस्ताव रिकार्ड समय और समर्थन से पारित :- संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में इस आशय के प्रस्ताव को लगभग सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया था। भारत के साथ रिकार्ड 177 सदस्य देश न केवल इस प्रस्ताव के समर्थक बने बल्कि इसके सह-प्रस्तावक भी बने। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा था कि, ‘‘इस क्रिया से शांति और विकास में योगदान मिल सकता है। यह मनुष्य को तनाव से राहत दिलाता है।'' बान की मून ने सदस्य देशों से अपील की कि वे योग को प्रोत्साहित करने में मदद करें। यहाँ उल्लेखनीय है कि भारत में इससे पहले 2011 में हुए एक योग सम्मेलन में 21 जून को विश्व योग दिवस के तौर पर घोषित किया गया था। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि 21 जून साल का सबसे लंबा दिन होता है और समझा जाता है कि इस दिन सूरज, रोशनी और प्रकृति का धरती से विशेष संबंध होता है। इस दिन को किसी व्यक्ति विशेष को ध्यान में रख कर नहीं, बल्कि प्रकृति को ध्यान में रख कर चुना गया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के लिए पिछले सात सालों में यह इस तरह का दूसरा सम्मान है। इससे पहले यूपीए सरकार की पहल पर 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने महात्मा गांधी के जन्मदिन यानि 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर घोषित किया था।

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भारतीय संविधान विश्व में अनूठा

भारतीय संविधान सारे विश्व में "विश्व एकता" की प्रतिबद्धता के कारण अनूठा है!

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किसी राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं

शिक्षक दिवस पर विशेष लेख

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अपने जीवन को 'आध्यात्मिक प्रकाश' से प्रकाशित करने का पर्व है दीपावली!

दीपावली ‘अंधरे' से ‘प्रकाश' की ओर जाने का पर्व है:

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