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अपने जीवन को 'आध्यात्मिक प्रकाश' से प्रकाशित करने का पर्व है दीपावली!
दीपावली ‘अंधरे' से ‘प्रकाश' की ओर जाने का पर्व है:
दीपावली शब्द ‘दीप' एवं ‘आवली' की संधि से बना है। ‘आवली' का शाब्दिक अर्थ है पंक्ति। इस प्रकार ‘दीपावली' का शाब्दिक अर्थ है ‘दीपों की पंक्ति'। भारत वर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व सभी धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अपने परम प्रिय राजा के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए थे। तब से लेकर आज तक यह प्रकाश-पर्व भारत वर्ष में बड़े ही हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है। दीपावली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। इस प्रकार दीपावली अंधेरे से प्रकाश की ओर जाने का पर्व है। इस प्रकार आज भी प्रत्येक वर्ष दीपावली के दिन एक दीपक से दूसरा जलाया जाता है और इन दीपों से निकलने वाली यह लौ (प्रकाश) सदियों से सारे संसार को शांति व भाइचारे का संदेश देती आ रही है।
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