स्वागत! जीवन के नवल वर्ष आओ, नूतन-निर्माण लिये, इस महा जागरण के युग में जाग्रत जीवन अभिमान लिये;
दीनों दुखियों का त्राण लिये मानवता का कल्याण लिये, स्वागत! नवयुग के नवल वर्ष! तुम आओ स्वर्ण-विहान लिये।
संसार क्षितिज पर महाक्रान्ति की ज्वालाओं के गान लिये, मेरे भारत के लिये नई प्रेरणा नया उत्थान लिये;
मुर्दा शरीर में नये प्राण प्राणों में नव अरमान लिये, स्वागत! स्वागत! मेरे आगत! तुम आओ स्वर्ण विहान लिये।
युग-युग तक पिसते आये कृषकों को जीवन-दान लिये, कंकाल-मात्र रह गये शेष मज़दूरों का नव त्राण लिये;
श्रमिकों का नव संगठन लिये, पददलितों का उत्थान लिये; स्वागत! स्वागत! मेरे आगत! तुम आओ स्वर्ण विहान लिये।
सत्ताधारी साम्राज्यवाद के मद का चिर-अवसान लिये, दुर्बल को अभयदान, भूखे को रोटी का सामान लिये;
जीवन में नूतन क्रान्ति क्रान्ति में नये-नये बलिदान लिये, स्वागत! जीवन के नवल वर्ष आओ, तुम स्वर्ण विहान लिये!
-सोहनलाल द्विवेदी
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