हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है। - छविनाथ पांडेय।
 

रोहित कुमार हैप्पी की लघुकथाएं  (कथा-कहानी)

Author: भारत दर्शन

रोहित कुमार 'हैप्पी' ने अपना हिंदी लेखन अपने विद्यालय से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पत्रिका 'कपिस्थली' से आरंभ किया। पहली रचना लिखी जब वे शायद 7वीं या 8वीं के छात्र थे। फिर उसके बाद महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका में लिखते रहे व साथ ही स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं के संपादन में सहयोग देने लगे।

आपकी पहली लघु-कथा दैनिक वीर प्रताप में प्रकाशित हुई थी। तत्पश्चात आपकी लघु-कथाएं व रचनाएं दैनिक ट्रिब्यून, पंजाब-केसरी, वेब दुनिया, नई दुनिया, पाञ्चजन्य, हरि-गंधा, वीर-प्रताप, विश्वमानव, ऑउटलुक, शांति-दूत (फीजी), स्कूप न्यूज, संडे स्टार, वायकॉटो टाइम्स इंडियन टाइम्स, (न्यूज़ीलैंड) इत्यादि जैसे प्रिंट मीडिया में प्रकाशित होती रही। इसके अतिरिक्त जी-न्यूज, कम्युनिटी रेडियो, स्थानीय रेडियों, टीवी, डॉयचे वेले (जर्मन), वॉयस ऑव अमेरिका के प्रसारण में योगदान।

1996 में इंटनेट पर विश्व की पहली साहित्यिक पत्रिका, 'भारत-दर्शन' का प्रकाशन आरम्भ किया और इसके साथ ही नियमित रूप से 'लघु-कथा' का प्रकाशन होने लगा।

आइए, रोहित कुमार 'हैप्पी' की कुछ लघु-कथाओं का आनन्द लें।

 

Back

Other articles in this series

उलझन | लघु-कथा
परम्परा
कलियुग का एकलव्य
बदला हुआ मौसम
त्रासदी
न्याय
दीवाली | लघु-कथा
नया मकान | लघु-कथा
ऐसा क्यों? | लघु-कथा
लेखक | लघु-कथा
दूसरी दुनिया का आदमी | लघुकथा
पागल | लघु-कथा
इश्तिहार | लघु-कथा
स्वतंत्रता-दिवस | लघु-कथा
हिंदी-दिवस | लघु-कथा
हिंदी | लघु-कथा
हमदर्दी | लघु-कथा
धर्म के नाम पर | लघु-कथा
अनपढ़-गवार | लघु-कथा
ओवर टाइम | लघु-कथा
कहावत | लघु-कथा
और मानवता सिसक उठी
दोराहा
दूसरा रुख | लघु-कथा
संवाद | लघु-कथा
पौधा | लघु-कथा
परिणाम | लघु-कथा
अन्दर की बात | लघु-कथा
लायक बच्चे
अर्जुन या एकलव्य
दीवाली किसे कहते हैं? | लघुकथा
आदमी कहीं का
प्रवासी
कर्ज
 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश