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गीत
गीतों में प्राय: श्रृंगार-रस, वीर-रस व करुण-रस की प्रधानता देखने को मिलती है। इन्हीं रसों को आधारमूल रखते हुए अधिकतर गीतों ने अपनी भाव-भूमि का चयन किया है। गीत अभिव्यक्ति के लिए विशेष मायने रखते हैं जिसे समझने के लिए स्वर्गीय पं नरेन्द्र शर्मा के शब्द उचित होंगे, "गद्य जब असमर्थ हो जाता है तो कविता जन्म लेती है। कविता जब असमर्थ हो जाती है तो गीत जन्म लेता है।" आइए, विभिन्न रसों में पिरोए हुए गीतों का मिलके आनंद लें।
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कुछ कर न सका - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
मैं जीवन में कुछ कर न सका |
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जब सुनोगे गीत मेरे... - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) |
दर्द की उपमा बना मैं जा रहा हूँ, |
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ओ देस से आने वाले - अख़्तर शीरानी |
ओ देस से आने वाले बता |
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हिन्दी गीत - डॉ माणिक मृगेश |
हिन्दी भाषा देशज भाषा, |
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पगले दर्पण देख - नसीर परवाज़ |
कितना धुंधला कितना उजला तेरा जीवन देख |
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