बापू के भी ताऊ निकले तीनों बंदर बापू के सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बंदर बापू के सचमुच जीवनदानी निकले तीनों बंदर बापू के ज्ञानी निकले, ध्यानी निकले तीनों बंदर बापू के जल-थल-गगन-बिहारी निकले तीनों बंदर बापू के लीला के गिरधारी निकले तीनों बंदर बापू के!
सर्वोदय के नटवर लाल फैला दुनिया भर में जाल अभी जिएंगे ये सौ साल ढाई घर घोड़े की चाल मत पूछो तुम इनका हाल सर्वोदय के नटवर लाल!
लंबी उमर मिली है, खुश हैं तीनों बंदर बापू के दिल की कली खिली है, खुश हैं तीनों बंदर बापू के बूढ़े हैं, फिर भी जवान हैं तीनों बंदर बापू के परम चतुर हैं, अति सुजान हैं तीनों बंदर बापू के सौवीं बरसी मना रहे हैं तीनों बंदर बापू के बापू को ही बना रहे हैं तीनों बंदर बापू के!
खूब होंगे मालामाल खूब गलेगी उनकी दाल औरों की टपकेगी राल इनकी मगर तनेगी पाल मत पूछो तुम इनका हाल सर्वोदय के नटवर लाल!
सेठों क हित साध रहे हैं तीनों बंदर बापू के युग पर प्रवचन लाद रहे हैं तीनों बंदर बापू के सत्य-अहिंसा फाँक रहे हैं तीनों बंदर बापू के पूँछों से छवि आँक रहे हैं तीनों बंदर बापू के दल से ऊपर, दल के नीचे तीनों बंदर बापू के मुस्काते हैं आंखें मीचे तीनों बंदर बापू के!
छील रहे गीता की खाल उपनिषदें हैं इनकी ढाल उधर सजे मोती के थाल इधर जमे सतजुगी दलाल मत पूछो तुम इनका हाल सर्वोदय के नटवर लाल!
मड़ रहे दुनिया-जहान को तीनों बंदर बापू के चिढ़ा रहे हैं आसमान को तीनों बंदर बापू के करें रात-दिन टूर हवाई तीनों बंदर बापू के बदल-बदल कर चखें मलाई तीनों बंदर बापू के गांधी-छाप झूल डाले हैं तीनों बंदर बापू के असली हैं, सर्कस वाले हैं तीनों बंदर बापू के!
दिल चटकीला, उजले बाल नाप चुके हैं गगन विशाल फूल गए हैं कैसे गाल मत पूछो तुम इनका हाल सर्वोदय के नटवर लाल!
हमें अँगूठा दिखा रहे हैं तीनों बंदर बापू के कैसी हिकमत सिखा रहे हैं तीनों बंदर बापू के प्रेम-पगे हैं, शहद-सने हैं तीनों बंदर बापू के गुरुओं के भी गुरू बने हैं तीनों बंदर बापू के सौवीं बरसी मना रहे हैं तीनों बंदर बापू के बापू को ही बना रहे हैं तीनों बंदर बापू के।
-बाबा नागार्जुन साभार - नागार्जुन रचनावली
|