मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
 
डर भी पर लगता तो है न (बाल-साहित्य )     
Author:दिविक रमेश

चटख मसाले और अचार
कितना मुझको इनसे प्यार!
नहीं कराओ  इनकी   याद
देखो  देखो  टपकी  लार।

माँ कहती पर थोड़ा  खाओ
हो   जाओगी  तुम बीमार
क्या करूं पर जी करता है
खाती  जाऊं  खूब  अचार।

पर डर भी लगता तो है न
सचमुच पड़ी  अगर बीमार
डॉक्टर जी कहीं पकड़ कर
ठोक न  दें  सूई दो-चार।

-दिविक रमेश

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