मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।
 

माँ (कथा-कहानी)

Author: शैलेन्द्र कुमार दुबे


"माँ, हम दोनों ने फैसला कर लिया है कि हमारा बच्चा किसी और की कोख से पैदा होगा ।"

"क्या कह रही हो, पागल तो नहीं हो गई? तुम्हारा बच्चा किसी और की कोख से ?"

"माँ, हम किराये की कोख का इंतज़ाम कर रहे हैं।"

"...पर लोग क्या कहेंगे?"

"लोगों को कह दूँगी, कि 'आय एम अनकेपेबल।' और माँ, अगर सब कुछ ठीक रहा तो मैं इस बर्ष डायरेक्टर बन जाऊँगी, फिर सोचो कितना पैसा कमाऊँगी। और उसको सब कुछ दूँगी।"

"अभी बच्चे को पेट में रहने का समय तो दे नहीं पा रही, बाद का किसने क्या देखा है ?" माँ ने झल्लाते हुए कहा।

- शैलेन्द्र कुमार दुबे, केन्या
  ई-मेल: skdubeyboi@gmail.com

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश