Important Links
मेरी चीन यात्रा (कथा-कहानी) |
Author: सुरेश अग्रवाल
13 नवम्बर 2015 की तिथि मेरे जीवन की एक यादगार घटना के तौर पर सदैव के लिये अंकित होकर रह गयी है। जी हाँ, इसी दिन चाइना रेड़ियो इण्टरनेशनल के आमंत्रण पर मुझे चीन जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। चार दशक से लगातार सीआरआई हिन्दी से जुड़ा होने के कारण चीन के बारे में यूँ तो मुझे बहुत सी बातों की जानकारी थी, फिर भी एक नया देश और उसकी आब-ओ-हवा को देखने, जानने की गहन उत्कण्ठा मन में बनी थी। साथ में थीं कुछ भ्रान्तियाँ भी। चीन जाने से पूर्व उसकी जो तस्वीर ज़हन में उभर रही थी और जो मिथक मन में पल रहे थे, वहां पहुँचने के बाद उन सभी का अवसान घटित हो गया।
जहाँ एक ओर चीन देखने की उत्कट इच्छा थी, तो वहीं दूसरी ओर वहां की भाषा और खान-पान की समस्या मन में अनेक प्रश्न खड़े कर रही थी। अन्ततः साढ़े पांच घण्टे की उड़ान के बाद विमान शंघाई के पुडोंग अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे
तनाव के इन क्षणों में एयरपोर्ट पर मुझे जो सहयोग मिला, उसे भी शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिये सम्भव नहीं और चीन
इसी तरह एक अन्य वाकये ने भी मुझे बहुत प्रभावित किया। होटल पहुँचने के बाद रात को सीआरआई हिन्दी विभाग के दो साथी मुझ से मिलने वहां आये। हम होटल के लाउंज में कहीं एक जगह बैठ कर इत्मीनान से बातचीत करना चाहते थे। मैंने देखा कि तीन लोगों के बैठने के एक सोफ़े पर एक बुजुर्ग महिला बैठी हैं और बाकी सोफ़े दो लोगों के बैठने के लिये उपयुक्त हैं। हम बैठने के लिये इधर-उधर उपयुक्त स्थान की तलाश कर रहे थे, कि बुजुर्ग चीनी महिला हमारी बात समझ गयीं और उन्होंने हमारे लिये वह सोफ़ा छोड़ दिया। शिष्टाचार की ऐसी मिसाल शायद ही कहीं और देखने को मिले !
चीन जाने से पूर्व मेरे मन में एक भ्रम यह था कि वहां विदेशियों को घूर-घूर कर देखा जाता होगा, मेरी यह धारणा भी मिथ्या साबित हुई। वास्तव में, चीनी लोग विदेशियों के साथ अधिक मित्रवत होते हैं। यदि आप किसी राह चलते व्यक्ति से भी कुछ पूछना चाहते हैं, तो वह न केवल आपकी बात सुनता है, अपितु उसके समाधान की कोशिश भी करता है। स्वच्छता तो जैसे उनके स्वाभाव में समायी है।
चीन एक बहुत ही सुन्दर देश है और प्रकृति की सभी छटाएं वहां विद्यमान हैं और वहां के लोग भी अतिथि परायण हैं। अपनी चीन यात्रा के दौरान मुझे एक ही चीज़ की कुछ परेशानी महसूस हुई, वह थी खानपान की। विशुद्ध शाकाहारी होने के कारण मुझे हर चीज़ पूछ कर खानी होती थी। मेरी राय में यदि चीन के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर शुद्ध शाकाहारी भोजन की सहज सुलभता हो, तो भारतीय पर्यटक यूरोप और अमेरिका से ज़्यादा चीन जाना पसन्द करेंगे। ।
- सुरेश अग्रवाल, केसिंगा (ओड़िशा)