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हर कोई है मस्ती का हकदार सखा होली में (काव्य) |
Author: डॉ. श्याम सखा श्याम
हर कोई है मस्ती का हकदार सखा होली में
मौसम करता रंगो की बौछार सखा होली में
मस्तानी लगती है हर नार सखा होली में
बूढ़े भी होते है दमदार सखा होली में
घोंटें हम मिलजुल भंग जब यार सखा होली में
मिट जाती तब सारी तकरार सखा होली में
सास नन्द देवर कब रहते रिश्तेदार सखा होली में
बन जाते सब ही तो हैं बस यार सखा होली में
बस इक बात यही लगे हमको बेकार सखा होली में
क्यों लेकर आती बजट मुई सरकार सखा होली
-डॉ. श्याम सखा श्याम