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इच्छा | लघु-कथा (कथा-कहानी) |
Author: रंजीत सिंह
हूँ...., आज माँ ने फिर से बैंगन की सब्जी बना कर डिब्बे में डाल दी। मुझे माँ पर गुस्सा आ रहा था । कितनी बार कहा है कि मुझे ये सब्जी पसंद नहीं, मत बनाया करो।
कालेज की कैंटीन में अपना टिफिन खोलते हुए, मैं यही सोच रहा था कि तभी मेरी नजर सामने सडक़ के पार पड़ी।
एक बूढ़ा व्यक्ति कूड़े के ढेर से कुछ निकाल कर खाता हुआ दिखाई दिया। मेरी नजरें खुद-ब- खुद झुक गई, मुझे अपनी सब्जी अब बिल्कुल भी बुरी नहीं लग रही थी।
- रंजीत सिंह