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ग़रीबों, बेसहारों को (काव्य) |
Author: सर्वेश चंदौसवी
ग़रीबों, बेसहारों को महामारी से लड़ना है
मगर इससे भी पहले इनको बेकारी से लड़ना है।
पहनकर मास्क घर में बैठ जाओ बस इसी से क्या ?
जो दुनिया को निगलती जाए, बीमारी से लड़ना है।
दवा को खोज कर लाना ज़रूरी हो गया अब तो
जो 'कोरोना' - से ज़हरीले अहंकारी से लड़ना है।
उठाने सख़्त ही होंगे क़दम कुछ दुनिया वालों को
ख़िलाफ़ उसके कि जिसकी बेजा ग़द्दारी से लड़ना है।
लड़ी जाती हैं जंगें हौस्लों से मशवरा मेरा
अजब है जंग इसको भी न मन भारी से लड़ना है।
तुम्हें जो भी डराते हैं जवाब उनको दो हिम्मत से
मरज़ है जानलेवा इससे बेदारी से लड़ना है।
बहुत कुछ कर रही सरकार हर रोगी बचाने को
तो फिर 'सर्वेश' हमको भी न लाचारी से लड़ना है।
- सर्वेश चंदौसवी