मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।
काश हम जंगल में रहते (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:रवि रंजन गोस्वामी

काश कि हम जंगल में रहते
पेड़ों पर झटपट चढ़ जाते
आम पेड़ से तोड़ के खाते
बाघ और भालू दोस्त बनाते
बंदर से भी यारी होती
ये यारी भी प्यारी होती
तोता मैना ,बगुला मोर
हम सब खूब मचाते शोर 

-रवि रंजन गोस्वामी
ई-मेल: goswamirr@hotmail.com

 

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश