मेरे दुख की कोई दवा न करो मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो
नाख़ुदा को ख़ुदा कहा है तो फिर डूब जाओ ख़ुदा ख़ुदा न करो
ये सिखाया है दोस्ती ने हमें दोस्त बन कर कभी वफ़ा न करो
इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं चंद लम्हों में फ़ैसला न करो
आशिक़ी हो कि बंदगी 'फ़ाकिर' बे-दिली से तो इब्तिदा न करो
-सुदर्शन फ़ाकिर |