सच के लिए लड़ो मत साथी, भारी पड़ता है!
जीवन भर जो लड़ा अकेला बाहर-अंदर का दु:ख झेला पग-पग पर कर्तव्य-समर में जो प्राणों की बाज़ी खेला ऐसे सनकी कोतवाल को चोर डपटता है!
सच के लिए लड़ो मत साथी, भारी पड़ता है!
किरणों को दाग़ी बतलाना या दर्पण से आँख चुराना कीचड़ में धँस कर औरों को गंगा जी की राह बताना इस सबसे ही अंधकार का सूरज चढ़ता है!
सच के लिए लड़ो मत साथी भारी पड़ता है!
-कुमार विश्वास |