अगर न होता चाँद, रात में हमको दिशा दिखाता कौन? अगर न होता सूरज, दिन को सोने-सा चमकाता कौन? अगर न होतीं निर्मल नदियाँ जग की प्यास बुझाता कौन? अगर ना होते पर्वत, मीठे झरने भला बहाता कौन? अगर न होते पेड़ भला फिर हरियाली फैलाता कौन? अगर न होते फूल बताओ खिल-खिलकर मुसकाता कौन? अगर न होते बादल, नभ में इंद्रधनुष रच पाता कौन? अगर न होते हम तो बोलो ये सब प्रश्न उठाता कौन?
- बालस्वरूप राही
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