दोस्त है कृष्ण तुम हर्जाना भरो सुदामा बन!
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राम बनना डरना मत कभी बनवास से!
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हाथ थमाया वो अपना बनाया हाथ है, ना वो
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चीर-हरण.. आँखें ढूंढ रही हैं... कहाँ हो कृष्ण?
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है मधुमास आंखे गंगा-जमुना सीया उदास
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भूख-बेकारी बड़े-बड़े सपने सामने बैंक
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नशे में धुत्त मंडे टू संडे - रोज वो समदर्शी
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बैंक बैलेस कोठी, बंगला, कार उड़े हैं बाल
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है सप्ताहांत पार्टी...डिस्को...खिसको ये अभिमन्यु
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पेड़ पे काग शायद कोई आया डाकिया-बिल
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होंठ हैं चुप्प रात अंधरी घुप्प नयना बोले
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होली, दीवाली दिल है खाली-खाली ये है विदेस
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आँखों में नमी बेगाना कोई घर कहाँ है अम्मी
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बूढ़ा शरीर कुछ ताजे सपने टूटा है दिल
- रोहित कुमार हैप्पी
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