आज मैं पीटी नहीं मार डाली गयी हूँ मैं पीटी गयी तुम देखते रहे ख़बरों की सुर्ख़ियों में पढ़ते रहे कम्प्युटर पर ईमेल में भेजते रहे टीवी के स्क्रीन पर सुनते रहे मैं बार बार पीटी गयी तुम बार-बार देखते रहे और सुन-सुन के सहते रहे तरस तो आया तुम्हें मैं तुम्हारे देश की हूँ दिल में आया तुम्हारे कि मैं तुम्हारी बेटी जैसी हूँ मगर रोज़मर्रा की ज़िंदगी ने हमारे बीच के फ़ासलों ने इस मारधाड़ की दौड़ ने सब पर छा जाने की होड़ ने तुमने मुझे भुला दिया सपनोँ ही में सुला दिया आज मैं पीटी नहीं मारी गयी हूँ आज मैं थी, कल तुम्हारी बेटी भी हो सकती है शायद तुम कुछ करो और इसे रोको आज मैं पीटी नहीं मार डाली गयी हूँ हाँ , आज मैं पीटी नहीं मार डाली गयी हूँ
-अब्बास रज़ा अल्वी, ऑस्ट्रेलिया |