यह कविता अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् के भूतपूर्व उपाध्यक्ष, 'बी एल गौड़' ने बालेश्वर जी के जन्मदिवस पर लिखी थी।
कलयुग के इस ब्रह्म-ऋषि को कोटि-कोटि हे नमन मेरा दशकों पहले जन्म हुआ, तो श्री बालेश्वर नाम धरा।
यों तो लोग यहाँ आते हैं जीवन जिआ चले जाते हैं कुछ बिरले ऐसे होते हैं नाम अमर कर जाते हैं जीवन के सारे सुख त्यागे मानव सेवा धर्म धरा।
त्याग तुम्हारा पर्वत जैसा प्यार घने जंगल सा है कर्म तुम्हारा योगी जैसा जीवन गंगा जैसा है सारी दुनिया एक कुटुम है सबके मन संदेश भरा।
लेटे-लेटे शैय्या पर तुम जाने क्या सोचा करते कैसी भी हो विकट समस्या पल में उसका हल करते तन तो अब कुशकाय हुआ पर मन में साहस विकट भरा।
प्यारे और स्नेहीजन सब आज यहाँ एकत्र हुये श्रद्धा सुमन लिये हाथों में पास तुम्हारे खड़े हुए
हे परम पुरुष तुम उठो जरा अब, संबोधन हो नेह भरा।
कलयुग के इस ब्रह्म-ऋषि को कोटि-कोटि है नमन मेरा दशकों पहले जन्म हुआ, तो श्री बालेश्वर नाम धरा।
बी एल गौड़ [अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् ] ई-मेल: blgaur36@gmail.com |