जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
जग में अजब है तेरा नाम | भजन (काव्य)    Print  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड
 

जग में अजब है तेरा नाम
बिगड़े संवारे तू सब काम।
जग में अजब है तेरा नाम॥

तेरा हरदम ध्यान रहे अब
होंठों पर रहे तेरा नाम।
जग में अजब है तेरा नाम॥

तेरा नाम है बड़ी दवाई
हर दुख में देता आराम।
जग में अजब है तेरा नाम॥

भव सागर में डूब रहे को
पार लगाया तुमने थाम।
जग में अजब है तेरा नाम॥

हर संकट तू हर लेता है
जब भी तुझे पुकारू राम।
हाँ, जब भी तुझे बुलाऊँ शाम॥
जग में अजब है तेरा नाम॥

-रोहित कुमार 'हैप्पी'

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