कवि प्रदीप का जीवन-परिचय व कविताएं
कवि प्रदीप का जन्म 6 फरवरी 1915 को मध्यप्रदेश के छोटे से शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। आपका वास्तविक नाम रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी था। आपको बचपन से ही हिन्दी कविता लिखने में रूचि थी।
आपने 1939 में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक तक की पढ़ाई करने के पश्चात शिक्षक बनने का प्रयत्न किया लेकिन इसी समय उन्हें मुंबई में हो रहे एक कवि सम्मेलन का निमंत्रण मिला।
1943 में 'क़िस्मत' फिल्म का गीत बहुत प्रसिद्ध हुआ था -
‘आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है। दूर हटो... दूर हटो ऐ दुनियावालों हिंदोस्तान हमारा है॥'
प्रदीप का गीत के इस गीत से भला कौन भारतवासी परिचित न होगा -
'ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी।'
यह देशभक्ति-गीत कवि प्रदीप ने रचा था जो 1962 के चीनी आक्रमण के समय मारे गए भारतीय सैनिकों को समर्पित था। जब 26 जनवरी 1963 को यह गीत स्वर-सम्राज्ञी लता मंगेशकर ने गाया तो वहाँ उपस्थित सभी लोगों की आँखें नम हो गईं। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व० पं० जवाहरलाल नेहरू भी स्वयं को रोक न पाए और उनकी आँखे भी भर आई थीं।
कवि प्रदीप ने अनेक गीत लिखे जो बच्चों में अत्यंत लोकप्रिय हुए जिनमें निम्नलिखित मुख्य हैं -
'दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल। साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल॥'
'आओ बच्चो! तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदोस्तान की। इस मिट्टी से तिलक करो यह धरती है बलिदान की॥'
'हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के। इस देश को रखना मेरे बच्चो! संभाल के॥'
कवि प्रदीप को 1998 में 'दादा साहब फालके' पुरस्कार से अलंकृत किया गया था। अपने गीतों से देशवासियों के दिल पर राज करने वाले कवि प्रदीप का 11 दिसम्बर 1998 को निधन हो गया। |