कटु वचनों से आहत कर पींग प्रेम की अर्थहीन है। प्रेम समर्पण का नाम दूजा है हक समझ पाना अर्थहीन है।
कटु प्रसंगों की स्मृतियाँ जीवन पर्यन्त ढोना अर्थहीन है। चिड़ियाँ जब खेत चुग गयीं तब पछताना अर्थहीन है।
काँटों से मुश्किल जीवन पथ का अंत पुष्प विमान में अर्थहीन है। जीते जी न कभी जाना समझा अब ये रोना धोना अर्थहीन है।
अंतस में कभी झाँक न देखा फिर पोथी पढ़ना अर्थहीन है। मन वचन कर्म तनिक न उतरे ऐसा थोथा ज्ञान अर्थहीन है।
निन्यानवे के फेर को छोड़ो इकाई दहाई सब अर्थहीन है। गीता ज्ञान गुनो और समझो अत्यंत संचन अर्जन अर्थहीन है।
- रीता कौशल, ऑस्ट्रेलिया PO Box: 48 Mosman Park WA-6912 Australia Ph: +61-402653495 E-mail: rita210711@gmail.com |