शौकिया जैसे सहेजते हैं लोग रंगीन, सुंदर, मृत तितलियाँ सहेजे हैं वैसे ही मैंने भाव भीगे, प्रेम पगे शब्द। शब्द, जो कभी चंपा के फूल की तरह तुम्हारे होंठों से झरे थे। शब्द, जो कभी गुलाब की महक से तुम्हारे पत्रों में बसे थे। शब्द जो बगीचे में उडती तितलियों से थे कभी प्राणवंत सहेज रखे हैं मैंने वे सारे शब्द। क्या हुआ जो मर गया प्यार क्या हुआ जो मर गया रिश्ता क्या हुआ जो असंभव है पुनर्जीवन इनका मैंने सहेज रखे हैं शब्द पूरी भव्यता के साथ जैसे सहेजते हैं मिस्र के लोग 'ममी'।
-प्रीता व्यास |