उन्हें ये फिक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है
गुनह-गारों में शामिल हैं गुनाहों से नहीं वाक़िफ़ सज़ा को जानते हैं हम ख़ुदा जाने ख़ता क्या है
ये रंग-ए-बे-कसी रंग-ए-जुनूँ बन जाएगा ग़ाफ़िल समझ ले यास-ओ-हिरमाँ के मरज़ की इंतिहा क्या है
नया बिस्मिल हूँ मैं वाकिफ नहीं रस्म-ए-शहादत से बता दे तू ही ऐ ज़ालिम तड़पने की अदा क्या है
चमकता है शहीदों का लहू पर्दे में क़ुदरत के शफ़क़ का हुस्न क्या है शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना क्या है
उमीदें मिल गई मिट्टी में दौर-ए-ज़ब्त-ए-आख़िर है सदा-ए-ग़ैब बतला दे हमें हुक्म-ए-ख़ुदा क्या है
- चकबस्त [ चकबस्त की यह ग़ज़ल शहीद भगतसिंह को बहुत पसंद थी। इसी ग़ज़ल का पहला मिसरा भगतसिंह ने अपने भाई को लिखे पत्र में लिखा था। ] |