भोपाल की स्थापना परमार राजा भोज ने की थी। राजा भोज ने 1010 से 1055 तक मालवा पर शासन किया था। उन्होंने भोजपाल की स्थापना की जिसे कालान्तर में 'भोपाल' के नाम से जाना जाता है।
परमार शासक राजा भोज को उनकी महान विजय और सांस्कृतिक कार्यों के कारण भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है व उनकी गणना महान शासकों में होती है। राजा भोज के राज्यकाल के ग्यारह अभिलेख उज्जैन, देपालपुर, धार, बेटमा तथा भोजपुर आदि स्थानों से प्राप्त हुए हैं।
राजा भोज का राज्य जब अपनी पराकाष्ठा पर था तो यह राज्य चित्तौड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, भिलसा, खानदेश, कोंकण और गोदावरी की घाटी के उत्तरी भाग तक फैला हुआ था । इस विशाल राज्य की राजधानी धारा नगरी. आधुनिक धार थी ।
भोज प्रगाढ़ पण्डित एवं विद्या प्रेमी थे । वह ज्योतिष, राजनीति, दर्शन, वास्तु, काव्य, व्याकरण, चिकित्सा शास्त्र आदि के ज्ञाता थे तथा इन विषयों पर उन्होने लगभग 84 ग्रंथ लिखे। राजा भोज विद्वानों के आश्रयदाता थे ।
मध्यप्रदेश राज्य के भोपाल जिले का गठन 1972 में हुआ था । यह मध्यप्रदेश प्रदेश की राजधानी है व भोपाल की सीमाओं से लगने वाले अन्य जिलों में सीहोर, राजगढ़, रायसेन एवं विदिशा जिले सम्मिलित हैं ।
भोपाल अनेकता में एकता को साकार करता है । यहॉं सभी धर्म एवं समुदाय के लोग आपसी सद्भावना एवं भाईचारे से रहते हैं । भोपाल में ग्रामीण एवं नगरीय संस्कृति के प्रमुख केन्द्र भारत भवन, मानव संग्रहालय, संस्कृति भवन, स्वराज भवन एवं रवीन्द्र सांस्कृतिक भवन स्थित हैं । यहाँ वन्यप्राणियों के संरक्षण हेतु वन विहार भी विकसित किया गया है जिसमें विभिन्न प्रजातियों के दुर्लभ वन्य प्राणी हैं । झीलों एवं पहाड़ियों से घिरा भोपाल अपनी प्राकृतिक छटा के लिए प्रसिद्ध है। भोपाल को झीलों की नगरी भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ कई छोटे-बडे ताल हैं। 2014 में यहाँ तीन दिवसीय 'भोपाल झील महोत्सव' का आयोजन किया गया था जिसमें मध्यप्रदेश शासन ने जल-क्रीड़ा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजिन किया था।
2015 मे 10-12 सितंबर तक भोपाल में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन भी अपनी भव्यता के कारण समाचारों में बना रहा। भोपाल में आयोजित यह सम्मेलन अभी तक आयोजित सभी सम्मेलनों में से सर्वाधिक भव्य व सुव्यवस्थित आयोजन था।
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
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