यह कैसे संभव हो सकता है कि अंग्रेजी भाषा समस्त भारत की मातृभाषा के समान हो जाये? - चंद्रशेखर मिश्र।
 
कठपुतली (बाल-साहित्य )       
Author:त्रिलोक सिंह ठकुरेला

ठुमक-ठुमक नाचे कठपुतली 
सबके मन को मोहे।
रंग बिरंगे सुन्दर कपड़े 
उसके तन पर सोहे॥

हाथ नचाती, पैर नचाती, 
रह रह कमर घुमाती। 
नये नये करतब दिखलाकर 
सबका मन बहलाती॥

उसे थिरककर नचा रहे हैं 
आशाओं के धागे। 
सपनों के नव पंख लगाकर 
बढ़ती जाती आगे॥ 

तुम भी व्यर्थ सोचना छोड़ो
मिलकर खुशी मनाओ।
जीवन का हर दिन उत्सव है, 
झूमो, नाचो, गाओ॥

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश