नामवर सिंह हिंदी के प्रतिष्ठित आलोचक हैं। आपका जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। आपने अधिकतर आलोचना, साक्षात्कार इत्यादि विधाओं में सृजन किया है। आपको साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त है। आज उनके जन्म-दिवस पर उनकी यह कविता: आज तुम्हारा जन्मदिवसनामवर सिंह आज तुम्हारा जन्मदिवस, यूँ ही यह संध्या भी चली गई, किंतु अभागा मैं न जा सका समुख तुम्हारे और नदी तट भटका-भटका कभी देखता हाथ कभी लेखनी अबन्ध्या। पार हाट, शायद मेला; रंग-रंग गुब्बारे। उठते लघु-लघु हाथ, सीटियाँ; शिशु सजे-धजे मचल रहे... सोचूँ कि अचानक दूर छह बजे। पथ, इमली में भरा व्योम, आ बैठे तारे 'सेवा उपवन', पुष्पमित्र गंधवह आ लगा मस्तक कंकड़ भरा किसी ने ज्यों हिला दिया। हर सुंदर को देख सोचता क्यों मिला हिया यदि उससे वंचित रह जाता तुम्हीं-सा सगा। क्षमा मत करो वत्स, आ गया दिन ही ऐसा आँख खोलती कलियाँ भी कहती हैं पैसा। |