Author's Collection
Total Number Of Record :10कुछ अनुभूतियाँ
दूर दूर तक फैला मिला आकाश
चारों ओर ऊँची पहाड़ियाँ
शांत नीरव वातावरण
दूर-दूर तक कोई कोलाहल न था।
शांति केवल शांति।
काश ! ऐसी शांति मेरे जीवन में भी आ पाती।
जीवन में
चारों ओर से बढ़ता हुआ कोलाहल
...
ज़िम्मेदारी
सामाजिक असंगति
और
सामाजिक परम्परा इनमें कोई सम्बन्ध है?
सामाजिक परम्परा
जिसे हम जीवित रखने का भरसक प्रयास कर रहे हैं
पाश्चात्य परम्पराओं के लालच से बचते हुए
और
भावी पीढ़ियों को बचाते हुए।
सामाजिक असंगति का प्रमुख कारण है
...
आज ना जाने क्यों
आज ना जाने क्यों फिर से
याद आ गया
नानी का वह प्यार और दुलार।
भीतर के कोठारे में
ना जाने कब से छुपा कर रखी मिठाई
हमारे स्वागत के लिये।
धोती के पल्ले में बंधे कुछ सिक्के।
आँखों में भारी असीम ममता
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ज़िंदगी तुझे सलाम
सोचा था अभी तो बहुत कुछ करना बाक़ी है
अभी तो घर भी नहीं बसाया
ना ही अभी किसी को अपना बनाया।
अभी तो किसी को यह भी नहीं बताया कि हमें भी किसी की तलाश है
ना ही अभी दूसरों को अपनाने की कला सीखी।
...
सफाई
पूछा हमसे किसी ने
तुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है?
हमने भी इस प्रश्न पर कुछ गहराई से विचार किया।
नतीजा यही निकला कि
जब सफाई देने की ही नौबत आ गई
तो
फिर कहने या ना कहने से भी क्या फर्क पड़ता है?
--डा॰ पुष्पा भारद्वाज-वुड
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क्षणिकाएँ
कहा-सुनी
तुमने कहा, हमने सुना।
हमने कहा, तुमने सुना।
बस बात वहीं ख़त्म हो गई।
-डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड
न्यूज़ीलैंड
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सफ़ाई
तुमने कहा,
अपनी सफ़ाई में कुछ कहना है?
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क्षणिका
ना तुमने कुछ कहा, ना हमने कुछ कहा।
बस यूँ ही बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने
अपनी अपनी खामोशी में
सभी कुछ तो कह गए हम दोनों।
-डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड
न्यूज़ीलैंड
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मुस्कान
उन्होंने कहा--
तुम्हारी मुस्कान में
एक जादू है।
बहुत ही प्यारी और निश्छल है।
हमने कहा नहीं--
तुम क्या जानो
इसके पीछे का दर्द!
वे बोले--
तुम्हारी आँखों की गहराई
मन को मोह लेने वाली है।
हम हँसे पर बोले नहीं--
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रामायण में निहित वित्तीय साक्षरता के कुछ संदेश | आलेख
वित्तीय साक्षरता एक ऐसा विषय है जो लोगों में अलग-अलग तरह की भावनाएं जगा देता है और फिर शुरू हो जाती है या तो खर्चो का स्पष्टीकरण या पैसों की कमी का दुःख। पिछले दो दशकों से इसी क्षेत्र में काम करते-करते मैंने बहुत कुछ देखा और सुना है। कुछ उसके आधार पर और कुछ अपने धार्मिक ग्रंथों को खोजने पर सोचा कि क्यों ना हमारे धार्मिक ग्रंथों में छुपे ज्ञान को वित्तीय साक्षरता के साथ जोड़ा जाए। यह लेख उसी प्रयास की एक झलक है।
अपने जीवन को सुरक्षित बनाएं
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बापू
विश्व को हिंसा से
मुक्त कराने का बीड़ा उठाया था तुमने।
विश्व तो क्या
यहां तो घर में भी
शांति निवास के लाले पड़ गए हैं।
अब तो घरेलू हिंसा दिन ब दिन
बढ़ने लगी है।
तुमने कहा था
अपनी इन्द्रियों को वश में करना सीखो।
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