मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।

शारदा और मोर

 (कथा-कहानी) 
Print this  
रचनाकार:

 सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala'

शारदा देवताओं की रानी थीं । वैसी रूपवती दूसरी देवी नहीं थी । उनकी प्यारी चिड़िया मोर था । खुशनुमा परों और भारी-भरकम आकार के कारण वह देवताओं की रानी सरस्वती का वाहन होने लायक था ।

कुछ हो, एक दिन मोर ने मन में सोचा, "मेरे साथ बड़ा बुरा बर्ताव किया गया है । मुझे वैसी अच्छी आवाज नहीं दी गयी जैसे कोयल को, नहीं तो रूप के अनुरूप ही मेरा स्वर होता ।" उसने शारदा से कोयल की-सी आवाज माँगी ।

देवी ने उसकी विनय पर यह उत्तर दिया- "हर चिड़िया को उसके योग्य दान मिला है । कोयल काली और सीधी चिड़िया है । उसको मधुर स्वर मिला । तुम्हारी आवाज तीखी और दिल को वैसी लुभाने वाली नहीं, मगर तुम्हारे पर इतने सुन्दर हैं कि देखकर दूसरों को जलन होती है । तुम्हें जो क्रुछ मिला है, उसके लिए कृतज्ञ रहो । जो तुम्हें नहीं मिल सकता, उसके लिए हाथ न बढ़ाओ । अपने भाग्य से सन्तोष रखना सीखो ।"

- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

[निराला की सीखभरी कहानियां]


#

यदि आप इन कहानियों को अपने किसी प्रकार के प्रकाशन (वेब साइट, ब्लॉग या पत्र-पत्रिका) में प्रकाशित करना चाहें तो कृपया मूल स्रोत का सम्मान करते हुए 'भारत-दर्शन' का उल्लेख अवश्य करें।

 

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश