सामने गुलशन नज़र आया गीत भँवरे ने मधुर गाया ।
फूल के संग मिले काँटे भी ज़िन्दगी का यही सरमाया ।
उन की महफ़िल में क़दम मेरा मैं बडी गुस्ताखी कर आया ।
आँख में भर कर उसे देखा फिर रहा हूँ तब से भरमाया ।
चोट ऐसी वक्त ने मारी गीत होंठों ने मधुर गाया ।
धुंध ऐसी सुबह को छाई शाम का मन्जर नज़र आया ।
आँख टेढ़ी जब हुई उन की ज़िन्दगी ने बस क़हर ढाया ।
- सुधेश
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