बाल-दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल । जगह-जगह पर मची हुई खुशियों की रेलमपेल ।
बरस-गांठ चाचा नेहरू की फिर आई है आज, उन जैसे नेता पर सारे भारत को है नाज । वह दिल से भोले थे इतने, जितने हम नादान, बूढ़े होने पर भी मन से वे थे सदा जवान । हम उनसे सीखे मुसकाना, सारे संकट झेल ।
हम सब मिलकर क्यों न रचाए ऐमा सुख संसार भाई-भाई जहां सभी हों, रहे छलकता प्यार । नही घृणा हो किसी हृदय में, नहीं द्वेष का वास, आँखों में आँसू न कहीं हों, हो अधरों पर हास । झगडे नही परस्पर कोई, हो आपस में मेल ।
पडे जरूरत अगर, पहन ले हम वीरों का वेश, प्राणों से भी बढ़कर प्यारा हमको रहे स्वदेश । मातृभूमि की आजादी हित हो जाएं बलिदान, मिट्टी मे मिलकर भी माँ की रक्खें ऊंची शान । दुश्मन के दिल को दहला दें, डाल नाक-नकेल । बाल दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल ।
- मनोहर प्रभाकर साभार - चुने हुए राष्ट्रीय गीत संपादक- डा मीना अग्रवाल, विद्या विहार |