भर कर लाया फूल हथेली, प्रिये बिछा लो आँचल में कुछ गुथने को तत्पर हैं, कुछ उगने को आँगन में।
लाल रंग के फूल चार हैं, चार गुलाबी वाले हैं एक बैंगनी चूड़ी जैसा, दो पीली डाली वाले हैं कुछ में बूँदें बसी हुई हैं, पाई थीं जो सावन में भर कर लाया फूल हथेली, प्रिये बिछा लो आँचल में।
गिनने में थोड़े हैं लेकिन, भरी अंजलि लाया हूँ प्रिये ग़ुलाबी हँसी लिए,एक कली भी लाया हूँ और पंखुड़ी बोल रही हैं - है जो भी मेरे मन में भर कर लाया फूल हथेली प्रिये बिछा लो आँचल में।
ऊपर वाला है गुलाब, उसके नीचे एक गेंदा है अंदर एक चाँद छुपा,क्या वो भी तुमने देखा है? तुलसी की पाती है इसमें, पायी थी जो वृंदावन में भर कर लाया फूल हथेली प्रिये बिछा लो आँचल में।
-आशीष मिश्रा, इंग्लैंड |