सब कहीं ले जा सकते हम! कितना अच्छा होता न तब?
और समुद्र सिर पर ढ़ोकर सब कहीं ले जा सकते हम! कितना अच्छा होता न तब?
अगर स्कूलों को रहड़ा कर सब कहीं ले जा सकते हम! कितना अच्छा होता न तब?
जो कुछ भी है इस धरती का अगर सभी का कर सकते हम! कितना अच्छा होता न तब?
पर कितने छोटू हैं हम तो हाथ भी देखो कितने छोटे! अगर मदद कर देता कोई कितना खुश हम भी हो लेते।
कितना अच्छा होता न तब?
-दिविक रमेश
[Children's Hindi Poems by Divik Ramesh]
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