हिन्दुअन की हिन्दुआई देखी तुरकन की तुरकाई ! सदियों रहे साथ, पर दोनों पानी तेल सरीखे ; हम दोनों को एक दूसरे के दुर्गुन ही दीखे !
घर-घर नगर-नगर में हमने निर्दय अगन जलाई !
हम दोनों के नाम अलग पर काम एक से, भाई ! यहाँ नाम का धरम, फिरी है जिसके नाम दुहाई ! देवपुरुष की दुष्कर हत्या हमने कर दिखलाई !
- पं. नरेंद्र शर्मा [ 7-2-1948, बम्बई ]
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