प्रेम देश का ढूंढ रहे हो गद्दारों के बीच फूल खिलाना चाह रहे हो अंगारों के बीच
खतरनाक है इनके साए में चलना भी दोस्त भरा हुआ बारूद ना होवे दीवारों के बीच
मनोयोग से ध्यान लगाए जरा बैठ कर देख शायद सिसकी सच की सुन ले तू नारों के बीच
ईश्वर तेरी करुणा ही अब इसकी खैर करे एक मसीहा घिरा हुआ है हत्यारों के बीच
दिल की बात जुबां पर आ कर रुक जाती है क्यों शायद गैर कोई बैठा है हम यारों के बीच
मद्धम लौ वाले तारों से हुआ नहीं आलोक कोई चांद सजाना होगा इन तारों के बीच
दुःखों में भी घिरकर 'राणा' हँसते रहना सीख देख कि गुल हँसता रहता है नित खारो के बीच
-डॉ राणा प्रताप सिंह 'राणा' गन्नौरी
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