भारत माता ग्रामवासिनी, शस्य श्यामला सुखद सुहासिनी,
हिम-किरीट सुशोभित भाल है, गंगा जमुना कंठ धार है, सागर पवित्र पांव चूमता, पा सुगंध समीर झूमता, शीतल मलयज मधुर हासिनी , भारत माता ग्रामवासिनी।
जीवनदायी वायु प्राण है, स्वर्गिक कल्पना की पुकार है. वन उपवन फल पुष्पित हँसते, खग कोकिल कुहू भ्रमर गूँजते, खेत खलियान हरित वस्त्रावृता, पुष्पित वृक्ष मधुर फलावृता, कुसुमित सुषमित हर्षित हासिनी, भारत माता ग्रामवासिनी।
चारू चन्द्रिका चंचल किरणें, जलद दामिनी सजत यामिनी, उर्मी लहरें क्रीडा करत हैं, मृदुल मुद्राएँ नृत्यारत हैं, सर सरिता पय पीयूष सुधामिनी, रवि शशि दिव निशि सुखदायिनी, उषा संध्या मृदु सुहासिनी, भारत माता ग्रामवासिनी।
- शारदा मोंगा
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